Budget 2022: 10 लाख तक इनकम पर 5% हो नॉमिनल टैक्स रेट, वर्क फ्रॉम होम के लिए अलग से मिले छूट
Union Budget 2022-23: बजट से इनकम टैक्सपेयर्स खासकर सैलरीड क्लास का काफी उम्मीदें है. एक्सपर्ट मान रहे हैं कि आम लोग महामारी से जुड़े कुछ फायदे चाहते हैं. वित्त मंत्री को पर्सनल इनकम टैक्स छूट की बेसिक लिमिट 5 लाख करनी चाहिए.
Budget 2022: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) आगामी 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी. बजट से इनकम टैक्सपेयर्स खासकर सैलरीड क्लास को इस बार काफी उम्मीदें है. एक्सपर्ट मान रहे हैं कि आम लोग महामारी से जुड़े कुछ फायदे चाहते हैं. टैक्सपेयर्स का मानना है कि पर्सनल इनकम टैक्स छूट की बेसिक लिमिट 5 लाख रुपये होनी चाहिए. इसके अलावा, सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट भी बढ़ाए जाने की जरूरत है. कोविड के चलते वर्क फ्रॉम होम पर लोगों को अच्छा-खासा खर्च हुआ है और हो रहा है. ऐसे में वर्क फ्रॉम होम के लिए अगल से एग्जम्प्शन मिलना चाहिए.
10 लाख तक इनकम पर 5% टैक्स
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लैनर (CFP) तारेश भाटिया का कहना है कि कोविड से प्रभवित सभी परिवार इस बार बजट से कुछ न कुछ बेनेफिट चाहते हैं. आम टैक्सपेयर्स चाहते हैं कि इनकम टैक्स स्लैब कम हो. ताकि उन्हें राहत मिले और सेविंग्स बढ़े. इस बार बजट (Budget) में वित्त मंत्री को पर्सनल इनकम टैक्स की बेसिक छूट लिमिट 5 लाख रुपये कर देनी चाहिए. यानी, 5 लाख तक इनकम फ्लैट टैक्स फ्री हो. वहीं, निवेश करने पर कैपिटल गेन्स टैक्स को हटा देना चाहिए. अभी 1 लाख रुपये से उपर इक्विटी, म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश पर 10 फीसदी की दर से कैपिटल गेन टैक्स लगता है.
भाटिया का कहना है, सेविंग्स को प्रमोट करने के लिए सरकार को पब्लिक प्रोविडेंड फंड (PPF) में निवेश पर मिलने वाली टैक्स छूट की लिमिट को मौजूदा 1.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर देनी चाहिए. वहीं, 10 लाख रुपये तक की इनकम पर नॉमिनल टैक्स रेट 5 फीसदी करने की जरूरत है. इसके साथ ही स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट बढ़ाकर 2 लाख तक करना टैक्सपेयर्स के लिए एक बेहतर फैसला साबित होगा. इसे महंगाई दर से भी जोड़ देना चाहिए. अभी सरकार 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन देती है.
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सैलरीड क्लास को खासतौर से टैक्स एग्जम्शन को उम्मीद है. ऐसा इसलिए क्योंकि कोविड के चलते वर्क फ्रॉम के लिए उन्होंने कई सारी चीजें खरीदी हैं. इनमें फर्नीचर, मोबाइल फोन, लैपटॉप, ईयरफोन, स्टूडियो लाइट्स, हेडफोन्स और इंटरनेट से रिलेटेड खर्चे शामिल हैं. बचट (Budget) में सैलरीड को काफी राहत देने की जरूरत है. वर्क फ्राम एक्सेससरीज के लिए अगले दो साल के अलग से छूट मिलनी चाहिए.
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80C की लिमिट 2.5 लाख हो
तारेश भाटिया का कहना है कि इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के अंतर्गत टैक्स छूट की लिमिट 2.5 लाख रुपये करने की जरूरत है. अभी यह लिमिट 1.5 लाख है. वहीं, हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर सेक्शन 80D में छूट की सीमा मौजूदा 50 हजार से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये करने की जरूरत है.
भाटिया कहते हैं, इंश्योरेंस प्रीमियम पर अभी पॉलिसीहोल्डर को 18 फीसदी GST देनी पड़ती है. इसे खत्म कर देना चाहिए. इसके अलावा, टर्म लाइफ इंश्योरेंस जो सिर्फ डेथ पर अमाउंट मिलता है. उस पर अलग से टैक्स छूट मिले. इसके लिए सरकार 80C (2) के रूप में अलग सब सेक्शन बना सकती है. इसमें 50 हजार एक्स्ट्रा छूट देनी चाहिए.
उनका कहना है कि ELSS के लिए अलग से 80C में अलग छूट लिमिट देनी चाहिए. यह हर महीने 10 हजार या साल का 1 लाख की अलग लिमिट दे देनी चाहिए. इसमें मिनिमम लॉक इन 3 साल को होता है. इसमें ज्यादा सेविंग्स के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है.
होम लोन के ब्याज पर 5 लाख हो डिडक्शन लिमिट
तारेश भाटिया के मुताबिक, होम लोन पर टैक्स छूट की लिमिट ब्याज पर 2 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर देनी चाहिए. वहीं, NPS यानी नेशनल पेंशन स्कीम में एक बार पोर्टेबिलिटी कर देनी चाहिए. कर्मचारी अपनी मर्जी से PF से NPS में अपना निवेश पोर्ट कर सके. NPS के अंतर्गत 80CC (1B) आता है. उसमें पूरी तरह छूट देना चाहिए. एनपीएस से पैसा निकालने या एन्युटी लेने पर निवेशकों को टैक्स से पूरी तरह राहत की उम्मीद है. एनपीएस में 50 हजार की एक्स्ट्रा छूट लिमिट 1 लाख करने से इस स्कीम में रुझान बढ़ेगा.
(नोट- CFP तारेश भाटिया एडवांटेज फाइनेंशियल प्लानर LLP (सेबी रजिस्टर्ड एडवाइजरी फर्म) के प्रिंसिपल ऑफिसर हैं.)
08:45 PM IST